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लेखनी कहानी -15-Apr-2024

#दिनांक:-15/4/2024
#शीर्षक:-अपनी याद

बहुत समझाया, मिन्नतें की,
हद से भी ज्यादा सारी हदें पार की,
कोशिश की, सलामत रहे रिश्तों का डोर,
पर तुमने जरा सी भी कोशिश ना की ।
सफर दोनों का था फिर क्यूँ तन्हा छोड़ा,
नाजुक दिल शीशे सा तोड़ा,
जुदाई, लोगों की सुनी थी अब तक,
बदनाम कर बेवफा कह छोड़ा ।
अब जब छोड़कर चले गये हो
मुड़कर ना पीछा किया करो,
*तेरी जुदाई* का सफर,
अकेले काट रहे हैं,
ख़्वाबों में आकर अपनी याद,
ना दिलाया करो |

रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है|

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई 

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3 Comments

Mohammed urooj khan

17-Apr-2024 11:47 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

16-Apr-2024 05:29 AM

Amazing

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hema mohril

16-Apr-2024 05:06 AM

V nice

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